ये जीवन हैं एक पहेली,

जैसी एक दुल्हन नै नवेली,

खुदसे हैं मिलाती,

अलग नज़रिये दिखाती,

 

महसूस करने को हैं तरसती,

अंशों को हैं जगती,

थोडीसी हैं जज़्बाती,

कितनो को हैं रुलाती,

 

कभी गम हैं भुलाती,

कभी जान ये चुराती,

कभी आगोश में सुलाती,

कभी नखरे वह दिखाती,

 

टूटी उमीदो को हैं जागती,

कभी प्यास हैं बुजाति,

कभी गेलेसे लगाती,

कभी फासले हैं बढ़ाती

ये जीवन हैं एक पहेली,

जैसे एक दुल्हन नै नवेली,

मानाने से ना मानती,

सिर्फ प्यार से संभलत।